चीन ताइवान संघर्ष: चीन के विरोध के कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस बार ताइवान को लेकर बड़ा फैसला लिया है। डब्ल्यूडब्ल्यूएल चक्रवृद्धि ने जिनेवा में होने वाली वार्षिक सभा में ताइवान को निमंत्रण देने का फैसला नहीं किया है। अटैचमेंट है कि वार्षिक सभा का आयोजन 21 से 30 मई तक जिनेवा में होगा, जिसमें ताइवान मौजूद नहीं रहेगा।
दरअसल, चीन और पाकिस्तान ने अपने सदस्यों से अनुरोध किया था कि विश्व स्वास्थ्य संगठन इस कार्यक्रम में ताइवान को शामिल न करे। जबकि ईस्वातिनी और मार्शल आइलैंड ग्रुप ने इसके पक्ष में बात की थी। चीन… ताइवान पर संप्रभुता का दावा करता है और कहता है कि वह एक अलग देश नहीं बल्कि बीजिंग से खुला “चीन” का हिस्सा है।
चीन के आंतरिक मामलों में दखल न दिया जाए
चीन का एक आग्रह यह भी था कि ताइवान एक देश नहीं है। इसे देखते हुए ताइवान को अंतरराष्ट्रीय संगठन से बाहर रखा गया है। जिसके बाद चीन ने डब्ल्यू एस एसिटिक्रेशन के जजमेंट का स्वागत किया है। चीनी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “यह पूरी तरह से दिखाता है कि एक-चीन सिद्धांत लोगों की आकांक्षा और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में समय की प्रवृत्ति है और इसे किसी भी तरह से चुनौती नहीं दी जा सकती है।”
मंत्रालय ने कहा कि सम्मेलन के उद्घाटन से पहले, लगभग 100 देशों ने एक-चीन सिद्धांत का पालन किया और विश्व स्वास्थ्य सभा में ताइवान की भागीदारी के लिए अपना विरोध रिकॉर्ड दर्ज किया। इस दौरान विदेश मंत्रालय ने कहा, “चीन कुछ देशों से आग्रह करता है कि वह ताइवान के मुद्दे चीन के आंतरिक मामलों में दखल देना बंद कर दें। ‘चीन को नियंत्रण करने के लिए ताइवान’ का उपयोग न करें।”
ये भी पढ़ें: ऑस्ट्रेलिया: ‘मंदिरों पर हमले की जिम्मेदारी ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों की’, पीएम मोदी के दौरे से सबसे पहले बोले भारतीय दूत