हिरोशिमा के जीवित बचे लोग आज जीवित हैं: दुनिया में पहली बार जब जापानी शहरों पर अमेरिका ने परमाणु बम गिराया था, तो चंदा छोड़ने वालों में हजारों लोग मारे गए थे। परमाणु बम (एटम बम) के विस्फ़ोट से भूकंप के आकार में एक विशाल आग का गोला उठा और आस-पास का तापमान 3000 से 4000 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच गया। विस्फोट से वहां इतनी तेज हवा चली कि 10 क्षेत्रफल में ही ये विस्फोट पूरे हिरोशिमा में फैल गया। लोग धू-धूकर जल रहे थे, कई लोग तो जहां वहीं वहीं भाप बन गए।
अगस्त 1945 की यह घटना जापान के इतिहास में सबसे विनाशकारी साबित हुई। हिरोशिमा के एक ही शहर में कम से कम 70,000 लोग मारे गए। जो लोग जीवित (हिरोशिमा उत्तरजीवी) बचे हैं, वो आज भी उस हरकत के बारे में जीविका सीहर बढ़ते हैं। सदाई कसौका (सदाए कसौका) नाम की एक लड़की जो उस समय 12 साल की थी, अब वह 90 साल की हो चुकी है, लेकिन जब भी परमाणु बम के हमले के बारे में सोचती है तो सिंक स्थिति ब्यां करने लगती है।
’43 पन्नों में रहने के बाद फटा था पहला परमाणु बम’
सदाई कसौका ने कहा, “परमाणु बम का विस्फ़ोट एक सख्त नारंगी प्रकाश की तरह लग रहा था, वह ऐसा था जैसे साल का पहला सूर्योदय हो रहा हो।” सदाई ने बताया कि वो द्वितीय विश्व युद्ध का अंतिम दौर था, 6 अगस्त, 1945 को संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा सवा 8:00 बजे सुबह हिरोशिमा पर दुनिया का पहला परमाणु बम गिराया गया। उस परमाणु बम को ‘लिटिल ब्वॉय’ नाम दिया गया था, विमान से गिराए जाने पर वह 43 पेज हवा में रहने के बाद सतह से ऊपर ही फट गया।
‘जब विस्फोट हुआ तो मैं दादी के साथ घर में अकेली थी’
सदाई कहती हैं कि मैं अपनी दादी के साथ घर में अकेली थी। जब धमाका हुआ, तो उसके विस्फोट से घरों की मोटी-मोटी दीवारें भी गिर गईं और शीशे चटककर झलक गए। जान बचाने के लिए हम दोनों एक जगह पर निकलेंगे। उन्होंने 6 अगस्त, 1945 की घटनाओं को याद करते हुए कहा, “एक पड़ोसी ने हमें बताया कि पूरे शहर में आग लग गई है।”
‘घंटों तक नहीं पता चला कि मेरे माता-पिता जिंदा नहीं बचे’
सदाई कहते हैं कि घंटे तक नहीं पता चला कि मेरे माता-पिता-पिता बच गए हैं या नहीं। जब मेरा भाई मेरे पिता के शव को घर लाया, तो वह जीवित था, लेकिन इतनी बुरी तरह से जल गया था कि मैं उसे पहचान नहीं पाया। सदाई ने कहा, “वह एकदम काला नजर आ रहा था। उसकी आंखें निकल रही थीं। अंत में मैंने उन्हें अपनी आवाज से पहचान लिया। उसने कहा- ‘मुझे पानी दो’ और फिर उसने मुझे मां की तलाश के लिए वापस जाने के लिए कहा।” ”
‘मुझे अब तक अफसोस है कि भाई को पानी तक पिला नहीं पाया’
सदाये ये उद्धरण हुए लंबी सांस लेने लगीं। उन्होंने आगे कहा, “किसी ने मुझसे कहा कि देवता को पानी नहीं देना चाहिए, इसलिए मैंने उन्हें पानी नहीं दिया, लेकिन इस बात का मुझे अब भी गहरा अफसोस है।” सदाई के पिता की दो दिन बाद मृत्यु हो गई थी। अगले दिन उसे पता चला कि उसकी मां की हत्या कर दी गई थी और कई अन्य पूर्वाग्रहों के साथ ही उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया था।
हिरोशिमा शहर की पहले की आबादी अवधि के गाल में समा गई
परमाणु बम से होने वाली सटीक संख्या आज तक स्पष्ट नहीं है, हालांकि हिरोशिमा प्रशासन ने इस पर ध्यान दिया है कि 1945 के अंत तक लगभग 140,000 लोग या तो विस्फोट में या तीव्र विकिरण के प्रभाव से मारे गए थे। आपको बता दें कि उस समय तक हिरोशिमा की कुल आबादी 350,000 थी, जिसमें अधिकांश नागरिक मारे गए थे और जो जीवित बचे हुए थे, उन्होंने कई बीमारियों का घोर अपमान किया था। तब से जापान में बच्चे का जन्म नहीं हो पाता।
एक बम से नहीं माना अमेरिका, यहां तक कि दूसरा भी गिरा दिया
हिरोशिमा पर अमेरिका ने 6 अगस्त को पहला परमाणु बम गिराया था जिससे जापानियों को लगा कि फिर ऐसा नहीं होगा, लेकिन उसके कुछ दिनों बाद, 9 अगस्त को हिरोशिमा दूर नागासा की ओर से लगभग 400 किमी (248 मील) दूर अमेरिका और घातक परमाणु भी बम गिराया। यह दूसरा बम एक बड़ा प्लूटोनियम बम था। वहां से दिसंबर 1945 तक लगभग 74,000 लोगों ने अपनी जान दे दी। और, जो लोग बच गए उनमें से कई बीमारियाँ पीड़ित थीं।
दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा परमाणु हथियार
इन हमलों के बाद दुनिया भर में ये मांग बढ़ी कि परमाणु सीमाओं को फिर कहीं इस्तेमाल न हो। नोबेल शांति पुरस्कार विजेता अंतर्राष्ट्रीय अभियान (आईसीएएन) की ओर से इस बात पर ज़ोर दिया जाता है कि परमाणु अवरोधों को समाप्त कर दिया जाना चाहिए। हिरोशिमा और नागासा पर गिराए गए परमाणु बम मानव बसावट पर पहले और आखिरी परमाणु हमले हैं।
तब से आज तक ऐसा नहीं हुआ, लेकिन पिछले साल यूक्रेन के खिलाफ छिड़े रूस के युद्ध में देखकर कई लोग ये आशंका जताते हैं कि ये युद्ध परमाणु हमले तक न पहुंचें। इस सप्ताह हिरोशिमा में ग्रुप ऑफ सेवन (जी 7) शिखर सम्मेलन के दौरान, जापान में 1945 के हमलों में जिंदा बचे कुछ लोगों ने विश्व नेताओं को यही याद की कोशिश की कि परमाणु बम मनुष्यों के लिए घातक हैं।
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