समस्तीपुर न्यूज़ : किसान फसल चक्र अपनाकर बचा सकते हैं फ़ील्ड की उर्वरा शक्ति, अपनाएं यह प्रक्रिया


रिपोर्ट- रितेश कुमार

अलीपुर। जिले के सिंघिया प्रखंड में खेती में बढ़ी लागत एवं परिणाम में कीट व प्रशंसा की प्रकोप से परेशान किसान खेती से मुंह मोड़ रहे हैं। लेकिन खेती को वैज्ञानिक तौर-तरीकों से किया जाए तो निश्चित तौर पर खेती एक लाभदायक व्यवसाय साबित हो सकता है।

यह बातें वारी गांव में आयोजित प्रक्षेत्र कार्यक्रम के तहत कृषि विज्ञान केंद्र लाडा के विभिन्न वैज्ञानिक सह प्रधान डॉ अभिषेकेक सिंह ने चुने गए कुछ चुने हुए किसानों को समूह पूर्व पंक्ति प्रत्यक्ष के तहत चना प्रभेद पूसा 3034 का प्रत्यक्षण करते हुए जानकारी दी।

फसल चक्र अपना खेत की पड़ी उर्वरा शक्ति

किसानों से वरीय वैज्ञानिक सह प्रमुख डॉ.अभिषेक प्रताप सिंह ने दीबताया का मुख्य उद्देश्य किसानों के बीच दल्हनी का महत्व एवं लाभ के बारे में जागरूक करना है। प्रत्यक्ष रूप से देखा गया है कि किस क्षेत्र में दल्हनी सफलता उत्पादन की कुछ अनुमान है। उन्होंने बताया की फसल चक्र अपनाकर किसानों के खेतों में कमी हो रही उर्वरा शक्ति को बचा सकता है।

उन्होंने किसानों को जानकारी देते हुए बताया की देखा गया है की लगातार किसान एकल फसली पद्धति के साथ काफी मात्रा में रासायनिक अनुमान और औषधि का प्रयोग करते हैं। इसके कारण प्रतिदिन खेतों की मिट्टी की उर्वरा शक्ति में हरास होती जा रही है।

फसल चक्र अपना खेत में दलहन, चना, मसूर, मटर, मुंग, उड़द, आदि डालहनी फसल खेत में लगाने से मिट्टी की भौतिक एवं रासायनिक संरचना में सुधार होने के साथ ही साथ उर्वरा शक्ति में भी वृद्धि है। साथ ही प्रति इकाई क्षेत्र से कम लागत में अधिक लाभ भी प्राप्त होता है।

प्रक्षेत्र दिवस के अवसरों पर उन्हें मौजूदा किसानों को बताया गया कि आप सभी लोग कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक संपर्क में खेती के साथ पशुपालन करें। जिसका परिणाम कम दिनों में आपको देखने को मिलेगा।

खेती और पशुपालन एक दूसरे के पूरक

इस अवसर पर बाज़ार के परिणामी उत्पादन वैज्ञानिक डॉ. अर्नव कुंडू ने बताया कि अगले साल इस चना की प्रभेद को और अधिक खतरनाक हो जाएगा। हमारे शरीर में दिन पर पोषक तत्वों की कमी के कारण स्वास्थ्य में गिरावट हो रही है।

पशुपालन के वैज्ञानिक डॉ. कुंदन कुमार ने बताया कि खेती और पशुपालन दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। खेती में सफलता के लिए जरूरी है कि किसान खेती के साथ-साथ पशुपालन पर भी ध्यान दें। इस दौरान उन्होंने किसानों को पशुपालन के साथ खेती करने की सलाह देते हुए प्राकृतिक खेती के महत्व के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

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