पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो-जरदारी ने टेलीविजन साक्षात्कार में कहा कि देश तूफान का सामना कर रहा है


पाकिस्तान पर बिलावल भुट्टो जरदारी: बिलावल भुट्टो जरदारी पाकिस्तान के विदेश मंत्री हैं। उन्होंने बुधवार (15 मार्च) को अमेरिका के एक टीवी शो में इंटरव्यू दिया। उन्होंने कहा कि देश संकटों की आंधी से जूझ रहा है। देश के बिगड़े हुए राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है।

पाकिस्तान के जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार देश के बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा कि दुर्भाग्य से पाकिस्तान में न केवल विभाजन और राजनीतिक ध्रुवीकरण बढ़ा है, बल्कि देश में राजनीतिक दल या राजनीतिक हितधारक भी नहीं हैं। हम एक कमरे में आपस में मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं। हम एक आर्थिक संकट का भी सामना कर रहे हैं।

देश में अराजकता है
अमेरिकन टीवी शो द डेली शो में बातचीत के दौरान जरदारी ने अफगानिस्तान का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अफगान सरकार के गिरने के बाद देश (पाकिस्तान) को सुरक्षा खतरों और संकट का सामना करना पड़ रहा है। जियो न्यूज के मुताबिक यह आतंकी हमले बढ़ने का मामला है। इसके बाद इतिहास की सबसे बड़ी आपदा का भी सामना करना पड़ा।

वहीं इमरान खान के कब्जे से जुड़े मसलों और जारी डील पर बात करते हुए जरदारी ने कहा कि देश अराजकता और अन्य संकट से जवाबदेही रहती है। वहीं इमरान खान का मानना ​​है कि देश में कानून लागू नहीं होता है।

पाकिस्तान का लोकतंत्र
पाकिस्तान के विदेश मंत्री जरदारी ने इमरान खान पर आगे कहा कि उन्होंने संसद से इस्तीफा दे दिया है और सिस्टम से भाग गए हैं। मेरे लिए इमरान खान को गिरफ्तार करने का सवाल नहीं है। मैं कभी नहीं चाहूंगा कि मेरे देश या किसी भी देश में कोई राजनेता जेल जाए। वो अपने अहंकार के कारण नजरबंदी के खतरे में है। उन्हें लगता है कि वो बहुत महत्वपूर्ण हैं और अदालत में नहीं आएंगे।

जियो न्यूज के मुताबिक विदेश मंत्री ने इमरान खान के फैसले को पाकिस्तान में दबंग व्यवस्था, कानून के शासन और देश में संविधान के अपमान का जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि हम ऐसी स्थिति में फंस गए हैं, जहां मस्ती पर राजनीतिक अराजकता चल रही है और वास्तविक मुद्दों पर ध्यान दिया जा रहा है, जो हर रोज पाकिस्तानियों को प्रभावित कर रहे हैं।

पाकिस्तान में लोकतंत्र की स्थिति पर उन्होंने जवाब दिया कि हमारे देश की लोकतंत्र की स्थिति है। हमारे इतिहास का अधिकांश हिस्सा फौजी तानाशाही के लायक नहीं है।

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