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किशनगंज के अरिहंत सुराणा ने 25 साल की उम्र में रचा दिया इतिहास।
अरिहंत का चयन अमेरिका में एमडी इन वैशिष्ट्य में हुआ है।
किशनगंज के अरिहंत सुराणा के पिता पर बचपन में एसिड अटैक हुआ था।
रिपोर्ट-आशीष कुमार सिन्हा
किशनगंज। प्रतिभा सुविधाओं और संसाधनों की मोहताज नहीं होतीं… सामान्य परिवार में पैदा हुए किशनगंज के एक युवा अरिहंत ने कठिन परिस्थितियों में भी इतिहास रच दिया है। अरिहंत सुराणा का सेलेक्शन अमेरिका में एमडी इन हटकी मेडिसिन में हो गया है। अमेरिका के शीर्षस्थ 25 चिकित्सा सहयोगियों ने उनसे साक्षात्कार में सफल घोषित किया है। किशनगंज जिले में इससे पहले किसी ने यह उपलब्धि हासिल नहीं की थी।
बिहार के सबसे कम साक्षर और संसाधनों की कमी वाले जिले किशनगंज के सामान्य परिवार के अरिहंत ने काम कर दिखाया है जो करोड़ों के दान देकर भी लोग नहीं कर पा रहे हैं। दरअसल, अरिहंत को डॉक्टर बनने का जुनून सवार हो गया था, जिसे न सिर्फ उसने पूरा किया बल्कि उससे भी कई कदम आगे बढ़ गया। उसने अपनी मेहनत के बूते वो हासिल करके दिखाया है कि ज्यादातर लोग जिसकी कल्पना तक नहीं कर पाते हैं।
भारत के सर्वोच्च रैंक प्राप्त कॉलेज में से एक नीलरतन सरकार मेडिकल कॉलेज, कोलकाता से वर्ष 2020 में एमबीबीएस की डिग्री हासिल करने के बाद अरिहंत ने उसे भी कुछ बड़ा करने का मन बनाया। उन्होंने कई परीक्षाओं और कई साक्षात्कारों से देखते हुए मुकाम हासिल करने में सफलता प्राप्त की। उनका पोजिशन और काबिलियत से उनका चयन अमेरिका में एमडी इन विच मेडिसिन में हो गया। अमेरिका के शीर्षस्थ 25 चिकित्सा सहयोगियों ने उनसे साक्षात्कार में सफल घोषित किया है।
आपके शहर से (किशनगंज)
अरिहंत इस उपलब्धि को प्राप्त करने वाला किशनगंज जिले का पहला युवा छात्र है। सामान्य परिवार और दुर्घटना के बाद की आर्थिक तंगी के वावजूद अरिहंत ने पिता के आशीर्वाद से अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लिया है। पढ़ने में मेधावी अरिहंत ने 10वीं तक की शिक्षा बाल मंदिर में पूरी की और बेहतर अंक से दसवीं पास की। उनकी बहन भी इंजीनियर हैं। अब अरिहंत अमेरिका में अगले तीन साल में एमडी इन साइलेंट मेडिसिन की पढ़ाई करेंगे। अरिहंत की इस सफलता से उनकी वयोवृद्ध दादी विमला देवी, माता सुमन सुराणा, पिता अजय सुराणा फूले नहीं समा रहे।
अरिहंत के पूरे परिवार में खुशी का माहौल है। लगातार उन्हें शुभचिंतकों से बधाई मिल रही है। अरिहंत की माता सुमन सुराणा का कहना है कि बेटे को डॉक्टर बनने हमारे बूते से बाहर था। हमारे पास न तो धन था और न ही संसाधन थे। अरिहंत में हर चुनाव में अच्छी रैंक पाई गई और अपनी काबिलियत से यह मुकाम हासिल कर पाया। अरिहंत के बचपन के स्कूल बालमंदिर के ट्रस्टी राज करण ने बताया कि अरिहंत शुरू से ही मेधावी रहा है। हमेशा अनुशासन में रहने वाले अरिहंत से अन्य छात्रों को प्रेरणा लेनी चाहिए। उसने स्कूल के साथ जिले का नाम रोशन किया है।
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पहले प्रकाशित : 17 मार्च, 2023, 12:10 IST